एक सर्व सामान्य समज है की जब भी कोई सफलता के बारेमे सोचे की तुरंत हम बहुत सारी भौतिक सुख सुविधा से युक्त हो जाये ऐसा द्रश्य ही देखेगे !!
एक बात सच भी है की कोई व्यक्ति को आगे बढना पसन्द आता है लेकिन उनका आंकलन केवल चीज वस्तुओ या बहारी साधन बटोरने से ही नही लेकिन आनंद, प्रसन्नता और ध्येय सिध्धि के साथ भी करना चाहिए..
जिसके पास जितनी चीजे ज्यादा हो वह ज्यादा सफल हो गया ऐसा हम मानते है लेकिन वास्तव में ये अलग होता है.. हलाकि इनका मतलब ये भी नही की हमे महेनत नही करनी चाहिए जगत की वस्तु भी हमारे लिए महत्वपूर्ण तो है ही क्योकि इनके बिना हमे चलने वाला नही है !!
जीवन जीने के लिए ये सभी प्रकार की वस्तु ये हो तो जीवन आसान हो जायेगा ये सब मानते है
लेकिन यहा पर ये बात भी है की केवल अंधी दौड़ भी ठीक नही है. आज आप देख रहे है की सफलता एक केवल दिखावे की चीज हो गई है. ” एका दूका ” कोई एक मार्ग में आगे बढ़ा हो तो सब भेड़ चाल की तरह उनके पीछे लग जाते है.. सब की नजर टउन पर टिकी रहती है.. बस मुझे भी यहीं होना है..
लोग उनके बारेमे तरह तरह की कहानिया कहते रहते है. ” थोडा और कर लो.. , उनके जैसा बनो…” ये सब motivation देते रहते है और बहुत सारे युवा वर्ग कभी कभी तो आगे बढने के स्थान पर depression के शिकार बन जाते है !!क्योकि वास्तव में हरेक व्यक्ति केवल नकल करके उनके जैसा नही बन पाता ! क्या ये वास्तवमे विकास है ?? क्या ये सफलता वास्तव में है ??
दूसरी ताजुब की बात तो ये होती है की कभी कभी तो थोडा बहुत आगे बढ़ा हुवा व्यक्ति भी इतना खुश नही होता है अपने जीवन में.. हालाकि उनके पास बहुत कुछ होता है फिर भी अगर अधुरप रहती हो तो ये सब होते हुवे भी क्या काम का रातो की नींद चली जाये सुख चेन ही चला जाये, गलत रास्ते का शिकार बन जाये और केवल एक सजाया हुवा पुतला बनके घूमता रहे तो क्या काम का ?
उस खालीपन और असंतोष को भरना ही सफलता है वास्तविक जीवन में ख़ुशी है
वास्तवमे किसी की हुबहू नकल करने से सफलता नही मिलती लेकिन काम में लगे रहना और प्रत्येक कदम पर आनंद का भाव मिलते रहना सफलता है.
ये ऐसा नही की एक सीमा बिंदु तय कर ले उनके बाद ही आनंद मिलेगा ये तो निरंतर हमारा अपना ही भीतर का है
अपनी पसंद का काम करते रहे और साथ पूरी ईमानदारी से करते रहे, “उनमे अपनी पूरी शक्ति लगा दे ” पूरी सिद्द्त से करे लेकिन कुछ मिल जाये ऐसा बार बार मत सोचा करे..
क्योकि जब काम करने में ही आनंद लगने लगे तब उस कार्य की और से आपको सफलता मिलती है ये निर्विवाद है
तो नही सोचे कार्य करनेमें भी एक आनंद होता है.. हालाकि यहा एक रहस्य ये भी है की अगर आप ये काम पूरी तरह से करेगे तो अपने आप सफल होगे ही और आपको मिलेगा भी जो आप चाहते हो !!
लेकिन अगर न मिला ज्यादा तो भी आप अपने काम से इतना आनंदित रह पाओगे की जीवन आपका बहुत ही प्रशन्न और दिव्यता से भरा हुवा बन जायेगा
ऐसा व्यक्ति अपने जीवन के सफलता के अंतिम पड़ाव में खुश होगा ऐसी बात नही लेकिन प्रत्येक कदम पर वह आनंदित रहेगा.
इनसे व्यक्ति अपने भीतर की उस चेतना के करीब रह पायेगा जो निरतिशय दिव्य और आनंदित है. हम बाहरी सब अलग अलग प्रकार के नुशखे अपना कर उसे घिरी हुई चेतना के रूप में ले लेते है.
तो सची सफलता अपने कार्य को ही पेशन बना कर आनंदित रहेने में है उनसे दोनों प्रकार के ध्येय सिध्ध हो पायेगे
सफलता का दूसरा अर्थ है अपने जीवन ध्येय को यथार्थ करना. प्रत्येक व्यक्ति का जीवन का एक मकसद तो होता ही है.
अगर उस पर ध्यान दे तो वह पता चल जायेगा क्या होता है aim of life बस आगे बढ़ते जाये, मन पूरी तरह से प्रसन्नता से भरपूर रखे, अपने कार्य में रूचि रखे और ईमानदारी से ये करते रहे तो आपको अपना ध्येय अपने आप मिल जायेगा !