आजका माहोल तो आप जानते है की स्ट्रेस होना स्वभाविक है. क्योकि काम ज्यादा है, उनके साथ साथ व्यक्तिगत मांग भी बढती जा रही है. शिक्षण, आरोग्य, आवास और रूटीन खर्च इतने बढ़ते जा रहे है की व्यक्ति की वर्तमान आमदनी कम ही पड़ जाती है.
पिछले दिनों में जो चीज luxurious लगती थी वह चीजे आज धीरे धीरे कब व्यक्ति के जीवन में एक जरूरत के रूप में आ गई पता ही नही चला. बिजली का बिल, पेट्रोल, मोबाईल, इंटरनेट का रिचार्ज, टीवी में डिश का रिचार्ज, महगे महगे सौन्दर्य के साधनों कपड़े, होटल और बाहर के खाने में लगते पैसे ये सब देखे तो महीने में इतना सारा खर्च हो जाता है और आमदनी इतनी जल्दी बढती नही है.
महगाई की मार भी रेग्युलर जीवन को तहसनहस कर देती है. जीवन चलाना मुश्किल हो जाता है. इसमें भी सामाजिक खर्चे, अगर कोइ बीमार है उनके दवाई के खर्चे और उनमे ली गई loan के emi ये सब मिलकर इतना खर्चा बढ़ा देता है की इसे मेंटेन करना भी एक बड़ी चुनोती का काम हो जाता है.
इसमें कोई गरबड़ी आ जाये, अपने relatives को संतुष्ट न कर पाए तो स्ट्रेस होने लगता है. जो उनके पास होता है उनसे ज्यादा मिलने की चाह में व्यक्ति निरंतर over thinking करता रहता है. वही धीरे धीरे stress का रूप ले लेता है.
दूसरा जब एक मोड़ ऐसा आता है की व्यक्ति फंस जाता है दूर दूर तक उसे कोई रास्ता नही नजर आता तब भी वह इस तरह से स्ट्रेस में चला जाता है स्ट्रेस धीरे धीरे डिप्रेशन का रूप ले लेता है. फिर ये आदत में तबदील हो जाता है कुछ विषय में इतना नही होता फिर भी एक तनाव महसूस होता रहता है.
आज हम उनसे निपटने के उपाय बतायेगे
Table of Contents
स्वीकार करना और संतुष्ट रहना
विकास के नाम पर निरंतर अधुरप भारी पड़ शकती है. अगर कोई भी स्थिति को निरतर कोषते रहेगे तो धीरे धीरे ऐसा स्वभाव बन जायेगा. यहा पर स्वीकार करना मतलब मूल बात को और अपनी वास्तविकता तो स्वीकारना ” जो है वह है “, ” और यह जीवन में तो ये होता ही रहता है ” ये शब्द बड़े जादुई है.
भले अपनी स्थिति को बदलने की कोशिश करे लेकिन उनसे बार बार उब न जाये irritate मत होए वरना वही स्थिति हमे बहुत ही परेशान कर देगी. हरेक की स्थिति एक समान नही होती अपनी वर्तमान स्थिति में संतुष्ट रहकर आगे बढे ये बहुत जरूरी है
अपने काम पर पूरा फॉक्स करे
आधा काम अधुरा काम परेशान बहुत ज्यादा करता है. बादमे करुगा या जो किया है वह भी जैसे लादा गया हो ऐसे करेगे तो धीरे धीरे सभी कार्य इस तरह से होते जायेगे फिर तो एक आदत बन जाएगी और जो काम ठीक से नही किया that work not properly done बार बार हमारे सामने आता रहेगा. उनकी डाट हमे खानी पड़ेगी या उस कार्य से उप्तन्न होने वाली परेशानी का सामना भी करना पड़ेगा !!
इसलिए भले एक काम कम हो लेकिन जो भी करे वह पुरे लगाव से करे पूरी सिद्दत से करे ठेलन बजी मत करे. कभी कभी छोटी बातो पर हमारी आलस एक habituate of laziness बन जाता है और हमे बार बार उल्जन में डालता रहता है.
अपने जीवन में एक काम ऐसा रखे जो रचनात्मक हो
जीवन में बहुत उल्जन है अगर हम ये मानने लगे तो उल्जन भी बढती जाएगी क्योकि जो मानेगे वही हमे महसूस होने लगेगा हमारा पूरा अस्तित्व उसी घेरे में रहने लगेगा हम उसी सोच में डूबे रहेगे तो आखिर में यही कुछ होगा जो हमने सोचा है तो क्या करना है ? एक ऐसा रचनात्मक कार्य को शुरू कर दे जो अपने जीवन कोई नई दिशा दे मतलब की जो हमारे विचारो का घेरा होता है उनसे हम थोडा दूर हटे और नये विचार भी आये. रचनात्मक कार्य से एक नवीनतम उर्जा हमे मिलती है जो हमे उपर उठाने में मदद करती है.