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ज्यादा सोचने से छुटकारा कैसे पाए ?
ये प्रश्न अक्सर आप के मन में उठ रहा होगा ! ज्यादा सोचने वाले लोग अपनी इसी आदत से इतना परेशान हो जाते है की उसे क्या करना है वही याद नही रहता. वह सोचते है एक विषय पर लेकिन धीरे धीरे उनमे इतने फंसते जाते है की स्वयम उनका हल ढूंढ नही पाते और फिर mind पूरी तरह से hang हो जाता है.
हम पहले उनकी प्रक्रिया समजते है फिर अगले आर्टिकल्स में उनके उपाय के बारेमे बताते है.
सबसे पहले एक सोच उत्पन्न होती है अगर यह सोच direct उनके प्रॉपर रास्ते पर मतलब एक ही दिशा में चले तो कुछ problem नही.
मतलब की ज्यादा सोचने के फायदे भी होते है कभी कभी ! ऐसा नही की ये नुकसान कारक ही है.
क्योकि अगर हमे भावी में कोई नुकशान होने वाला होता है, तो इनसे पता हो जाता है. जो बिना सोचे समजे कार्य करता है, वह अलग अलग मुद्दे पर सोचता नही. और एक मुद्दा उनसे छुट जाता है ! वही मुद्दा ही महत्व का हो ऐसा हो शकता है.
लेकिन धीरे धीरे ये बार बार की सावधानी एक आदत में बदल जाती है. खास करके जो व्यक्ति थोडा डरता हो. या जिनके पूर्व जीवन में ऐसी कोई घटना बन गई हो. वह सतर्कता बरतने का प्रयास करता है. और कोई एक बात को बार बार चेक करता रहता है धीरे धीरे यही आदत overthinking में बदल जाती है.
उसमे भी अगर सोच बार बार टकराती रहे मतलब एक सोच positive आये और तुरंत दूसरी सोच negative आये तो व्यक्ति का मस्तिष्क बार बार यु टर्न लेता रहता है उसे लूप में चले जाना कहते है ऐसी स्थिति में व्यक्ति बैठा ही रहता है कुछ कर ही नही पाता. केवल कभी ये सोचता है तो कभी वह सोचता है. इधर उधर उनका mind घूमता ही रहता है.
ऐसी व्यक्ति के जीवन में से ख़ुशीया चली जाती है. वह रात में सो भी नही शकता ठीक तरह से. जब ख़ुशी का माहोल हो या कोई खुश खबर हो तो वह उसमे भी अपने mind की बत्ती जला कर बैठ जाता है. दूध में से पोरे निकालता है.
अपने मनमे ही कुछ डर पैदा करने वाला सोच लेता है. मतलब कोई भावी संकट के बारेमे सोचने लगता है. वह वास्तवमे हो या नही. उनका कोई वास्तविक रूप न भी हो तो भी वह सोचता है और दुखी होता है.
बार बार इस तरह से करते रहने से एक पेटर्न बन जाती है सोचने की. यही पेटर्न एक mind set में रूपांतरित हो जाती है. बादमे यही हमे बार बार विचारो में ही उलझाती रहती है. धीरे धीरे स्थिति ऐसी हो जाती है, की हमारे सामने कोई विषय न हो फिर भी इस प्रकारकी सोच तो आती ही रहती है.
इतना ही नही यही सोच कभी कभी तो रात में भी तंग करती है , वह पूरी तरह से सोने भी देती
ऐसा overthinking person कोई भी घटना में आनंद नही ले शकता क्योकि वह जैसे ही उनमे थोडा सा interest ले की तुरंत ज्यादा सोचने की आदत उसे घेर लेती है और फिर से वह सोच में डूब जाता है. लोग उत्सव मनाते हो तब वह शिर पर हाथ रखके केवल सोचता रहता है.
इस तरह की आदत अगर आपमें है तो उसे निकाल दिजीये उनके लिए प्रयास की जिए क्योकि ये हमे आनंद ही नही आने देता बार बार हम मन ही मन नकारात्मक सोचते रहते है