मित्रो जो ध्यान करना चाहता है वह ये बात बहुत ही ध्यान से समज ले. अगर ये बात समज ली तो पूरा जीवन ही ध्यान में परिवर्तित हो जायेगा
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जब आप ध्यान करते है तो आप क्या करते है ?-meditation techniques
जब आप ध्यान करते है तो आप एक आसन लगाकर बैठते है फिर एक ध्येय पर मन एकाग्र करते है जैसे ही मन दूसरी जगह पर जाये की तुरंत उसे वहा से फिर से वापस लाते है और उसी ध्येय विषय में एकरूप करते है ये है आपकी ध्यान की पध्धति !!
हा उनसे उस समय मन को थोड़ी शांति मिल शक्ति है लेकिन जैसे ही हम ध्यान करना बंध करदे की तुरंत फिर से मन दूसरी दिशा में चला जाता है या हो शकता है मन की ये एकाग्रता कोइ दुसरे विषय में भी आ शकती है तो..
इसलिए ये एक pain killer दवा की तरह काम करता है हालाकि ये भी एक ध्यान की पध्धति है लेकिन उनसे भीं ज्यादा जो दिव्य पध्धति है वह हम आज जानेगे..
मन को और उनके विचारो को समजना -to be in consciousness
पूरी बात समजे ज्ञान को समजे देखेने वाला कौन है सोचने वाला कौन उन्हें पकडे !! कौन ध्यान करता है ? जो मन के माध्यम से सब सोच रहा है वही ध्यान कर रहा है.. जो मन माध्यमसे सब कुछ देख रहा है वह ध्यान करता है !! जो इस शरीर के माध्यम से और मन की सोच से मिलकर जगत की सारी प्रवृतिऔ को कर रहा रहा देख रहा और उन्हें जज भी कर रहा है !!
विपरीत सोच में डूबकर वही परेशानी का अहेसास कर रहा है !! वही वास्तवमे ध्यान करने वाला है. उसमें रहना है जब विचार को इस तरह से चेतस होकर देखने लगते है तब वह धीरे धीरे शांत हो जाते है.. बस उन्हें देखते रहो ये ज्ञान की साक्षी में रहने की पध्धति है.. जिसे अद्रैत वेदांत कहते है भीतर एक आत्मा है चेतना है साक्षी है..
परमतत्व जो सर्वत्र है उनका अंश है जैसे सागर की बूंद.. सागर अमाप है असीम है परिपूर्ण है उसी तरह से ये चेतना भी सर्वव्यापी है, सर्वत्र है, उनका एक अंश ही हमारे भीतर है जो सर्वत्र है उनमे रहना ये प्रयास करे !!
नितमित ये ध्यान में रहे !! – Stay in meditation
ध्यान में रहना है मतलब हमारे भीतर जो चेतना जाननेवाली है उनमे रहना है. उनके लिए पहले थोड़े थोड़े समय में प्रयास करना उनके लिए सुबह का समय या जब ही थोडा मन शांत हो तब ये करना है. शुरुआती स्थिति में सहज प्राणायम करे और माहोल को धीरे धीरे अच्छा करे फिर मनमे चलते विचारो को देखे उसे समजे ये एक वृति है ऐसा उसे समजते जाये धीरे धीरे वह आपको घिरेगे नही.. आप उनमे फसोगे नही लेकिन उनके बिच एक दुरी बनी रहेगी..
फिर पुरे दिन ये कर शकते है न भुतकाल के विचार और न भावी की चिंता दोनों से दूर रहे बस वर्तमान की स्थिति में रहे यही चेतस स्थिति है. कार्य में पूरा ध्यान रखना है मतलब की नियमित कर्म से पीछे हटना नहीं है जो भी सहज कर्म और कर्तव्य है उसे पुरे दिलसे करना है
इनसे दिव्य विश्व चेतना से जुडाव होगा !! – Connect With Cosmic Consciousness
विश्व चेतना अपने आप में अत्यंत बुध्धिमान और पूर्णता से भरपूर है ये पूरा जगत उनका ही क्रिया कलाप है जगत की सारी अगम्य और अजब गजब की रचना आप देख शकते है.. अगर मनुष्य अपने शरीर के भीतर चलती क्रिया को और जो रचना है उसे देखे जाने तो भी वह समज शकता है की ये कितनी असंभवित है फिर भी यह सम्भव हुवा है..
ये जिव सृष्टि को टिकाने लिए और उनको चलाने के लिए बहुत सारी arrangement और सम्भावना ये बनानी पडती है जैसे की तापमान, हवा, सूर्य प्रकाश, पानी ये सब ठीक होगा तब ही ये सब रह पायेगा वरना ये नाश हो जाता तो भी ये सब बना रहता है इतने युगों से यही नवीनता है
अब इस तरह से दिव्य ध्यान से उनमे रहना है तो धीरे धीरे उनके साथ सामंजस्य बनता जाता है तो धीरे धीरे व्यक्ति सामान्य में से असामन्य बनता जाता है ..
नसे आप उपर उठते जायेगे और धिरे धीरे दिव्यता की और आपका कदम बढ़ता जायेगे..
बस यही ध्यान की दिव्य पध्धति है हमारी चेनल भी यही प्रचार और प्रसार कर रही है..