हम सब जानते है की ख़ुशी हमारा main आधार है. अगर कोई भी छोटा सा पशु या पक्षी हो, उसे भी अपनी बहेतरीन स्थिति चाहिए. इसके लिए वह निरंतर इधर उधर दोड़ता रहता है. यहाँ हम HAPPY LIFE TIPS बतायेगे जिनके आधार पर हम स्थिति कैसीभी विकट क्यों न हो, hamesha khush kaise rahe उनका रहस्य जान पायेगे, आनंदमें रह पायेगे, ख़ुशी महसूस कर शकेगे.
ये बाते ALWAYS BE POSITIVE है जिनके आधार पर ख़ुशी हमारे आगन में दौड़ी चली आएगी. तो आइये हम समजते है har pal khush raheneke tarike
आम दौर पर देखेते तो मेरे सारे ब्लॉग में ये बात विशेषरूप से रहेगी जिसमे पहले थोडा सरल और बादमें ऐसी कोइ गूढ़ बात जरुर होगी जो आपकी सोचको बहेतरीन करे. आपको भीतरसे झिन्जोड़ के रख देगी. इसलिए बस आगे पढ़ते जाइये
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life tips
ख़ुशी का आधार हमारा ही मन-happiness depend on mind
ख़ुशी हो या दुःख हो सारे अनुभव हमें कहा होते है ? हमारा mind इसके लिए responsible है. हमारे पास बहुत सारी धन सम्पति है. यु कहो हम well set है, but अगर हमारा मन किसी न किसी बात पे उल्ज़ा रहा तो हमें trace का अहेसास होगा ही. out side की ये सारी चीज वस्तु ही केवल हमारा सुख और दुःखका आधार नहीं है. because निरंतर आनंद के लिए हमें अपने आप में बदलाव लाना होगा.
क्योकि सीधी सी बात है. सारे सुख के और दुःख के, भय के, पीड़ा के या चिंता के experience हमें हमारे mind यानी मन में होते है. अगर हम उसे ही ठीक नही कर पाते और मुझे ये मिले तो ही मुझे आनंद होगा happiness महसूस होगी !! अगर मेरे पास ये नही तो में कभी खुश नहीं रह पाउँगा !! ऐसा सोचने से क्या होता है, की हम अपनी ख़ुशी को दूर दूर तक धकेले जाते है.
मान लो की अगर एक बार अपनी इच्छा के मुताबिक हमें मिल भी जाये तो भी हम दूसरी बात के लिए मन ही मन सोचने लगेगे और जो मिला है उनका आनंद नहीं लुटाते. यहाँ एक बात “द्रष्टा वा सृष्टि” अर्थात जैसी सोच वैसे हम और हमारा जीवन ये याद रखनी चाहिए..
यहाँ पे कुछ tips निचे दी गई है..
हमारी सोच ही हमारी खुशिया का आधार है , सोच बदलो और हर पल खुश रहो. तरक्की के लिए आगे बढ़ते रहो. लेकिन तरक्की के हरेक पहलु पर आन्दित हो ..
सफलता पूर्णरुपे से मिले, तभी मुझे आनंद मिलेगा तभी में खुश हो पाउँगा ऐसा नहीं है, लेकिन सफलता के हर कदम पर हमें आनंद मनाना चाहिए, खुशिया बटोरते रहना चाहिए.
जीवन का प्रत्येक दिन, प्रत्येक दिन की हर पल आनंद करने के लिए है. क्योकि हम खुद ही सत, चित और आनंद है, हमारा जन्म ही आनंद का निरंतर अनुभव करने के लिए हुवा है ..
जब दुःख, चिंता, अफ़सोस, भय, तनाव से हम भर जाये तब ये मान लेना की हमारे मन में जरुर कुछ गरबड आ गई है. क्योकि आनंद सहज है.. चिंता और तनाव सहज भाव नहीं है .
जो सहज नहीं है उने पाने के लिए कुछ करना पड़ता है, लेकिन जो सहज रूप से हमारे पास है और फिरभी हमें नहीं मिलता तो उसे पाने के लिए जो अडचने है उसे ही हटानी है..
इस तरह से हमें मजबूत बनना है. जब हमारे मन में ये सारी मायुश करने वाली बाते attack करे की तुरन्त हमें ये सारे दुःख चिंता आदि के ख्याल मन में आनेहि ही नहीं देने है. उसी समय चोक्कना हो जाने की आव्यशकता है.
विपरीत परिस्थिति को एक चुनोती के रुपमे देखना
हमें अच्छा लगे या बुरा लेकिन एक बात हमें जीवन में समजनी चाहिए की हमारी आसपास की परिस्थिति हमारे अनुकूल ही रहेगी ऐसा हर पल तार्किकरूप से संभव नहीं है. हम आसपास की स्थिति को देखते है तो हमें ये मालूम हो जायेगा की सभी का जीवन एक जैसा नहीं pass होता. उसमे उतार चड़ाव आते ही रहते है. लेकिन हम क्या करते है की दुसरो के दुखो का अहेसास हमें होता नहीं और दुसरो के सुखो को ही इर्षा के वश हो के गिनतीमें लेते है.
और अगर हम पर जराभी मुश्केली आये की तुरंत अधीर हो के मायुश हो जाते है. हरेक के जीवनमे उतार चड़ाव सहज है क्योकि ये बिलकुल प्राकृतिक घटना है. हम एक पैड का example ले लेते है पैड के पत्ते हर पल हरे ही नहीं रहते कभी सूखे हो जाते है तो कभी हरे हो जाते है इस तरह हमारा जीवनभी बहते झरने की तरह टेढ़ी मेढ़ी राह पर चल पड़ता है.
इनका एक ही इलाज है की हम बदलती हर स्थिति को समज कर उनसे कभी मायुश न हो और चिंतितभी न हो..
हमें प्रयास लगातार जारी रखना है. ऐसा हो शकता है की हम सफलता के नजदीक हो, आनंद के नजदीक हो और बिचमे ही तूट जाये, रुक जाये..
प्रत्येक विपरीत स्थिति को हमें एक चुनोती की तरह देखना चाहिए. इसमें मजेकी बात ये भी हो शकती है की हर विपरीत स्थिति हमें कुछ न कुछ नया सिखाती जाती है. सफलता ऐसे ही मिलती है. ये कोई जादुई छड़ी नहीं की यु घुमादी और सफल हो गये.
इसलिए tips यह है की…
ये समय भी बीत जायेगा … विश्वाश रखिये.. और कदमो को कभी न रोके..
कभी न गभाराए और निरंतर उत्साह से, पूर्ण श्रद्धा से भरे हुवे बस आगे बढ़ते रहिये.. मुस्कुराते रहिये..
स्थिति को अपने पर हावी कभी न होने दे.. क्योकि विपरीत सोच ही आदमी को पूरी तरह से खत्म कर देती है.. एक बार क्या हुवा की बकरे की वाड में शेर घुस गया लेकिन शेर उन तक पहोच नहीं शका. मतलब बकरों को शेरने physically कुछ भी नुकशान नहीं किया फिर भी डर के मारे कई बकरे मर गये और कितने बेहोश हो गये. ये कोई उपजाव नहीं है सत्य घटना है..
इसिलिये यहाँ जो डर गया वह मर गया और जो हर पल खुश रहते हुवे स्थिति से लड़ता रहा आखिर में वही आनंदमें रह शका .
yoga in daily life हमें रोजाना योग करना चाहिये
यह बात बिलकुल सही है योग एक miracle है जो कोयले को भी सोना बना देता है. reality यह है की हमारे भीतर सब कुछ है. कोई भी चीज बहार से नहीं आती. हम छिपी हुई शक्तिऔ का भंडार है. लेकिन ये सारी शक्तिया हमारे भीतर छिपी हुई है. जैसे बादल से ढका हुवा सूरज !! जब बादल छा जाते है तब सूरज के पास असीम उर्जा होते हुए भी बादल उनकी रोशनीको हम तक पहोचने नहीं देते. इसी तरहसे हमारे भीतर भी शक्तिओं का भंडार है. आनंद की खान हमारे भीतर ही है. लेकिन कमजोर और बुरी सोच हमे उस आनंद तक पहोचने नहीं देती. हमें उसे बहार लाना है और यह काम योग कर शकता है.
हमारे भीतर जो mind है उनके दो प्रकार है एक है चेतन मन ( conscious mind ) और दूसरा है अचेतन मन ( subconscious mind ). जो पहला मन है वह हमारे साथ दिनभर रहता है लेकिन दूसरा है वह हमारे भीतर काम कर रहा है. यह डेटा bank का काम कर रहा है. हमारे अच्छी या बुरी सोच को वह भीतर में ही समेटा जा रहा है. जैसे हम google search engine में जो search करते है उनका सभी data उसमे store हो जाता है और वही खोजे हुवे subject को हमें बार बार दिखाता है.
उसी तरह से हमारे मन में जो भी ख्याल आते है उसी ख्याल बार बार हमारे मन में आते रहते है. अगर कोई चिंता के विचारो से ग्रस्त होता है तो उसे वही विचार बार बार आते रहते है यही सोच को हमें बदलके दिव्य बनाना है .
दिव्य चेतना को जगाना है…
उसी मन के भीतर एक दिव्य चेतना काम करती है जो हमारे सारे तन और मन को चलाती है. असल में वही हमारा आनंदमई शरीर है. उन्हें जगाने के लिए हमें योग करना चाहिए. असल training यही है उनके माध्यम से हम हर पल खुश रह पायेगे. यही हमारा secret है. योग में दो किस्म की training लेनी है एक है हमारे तन को यानि body को पूरी तरह से तंदुरस्त करना, लचीली बनाना, स्थितिस्थापक बनाना, सभी जगह से मजबूत और सुदढ़ करना. मतलब की बड़ी तोंद हो और पैर पतले हो ऐसा नहीं. कमर पतली हो. हमारा पेट भीतर की तरफ हो और सीना बड़ा और चौड़ा हो. हम तरो ताजा हो और आनंद से भरे हुवे हो, पूर्ण उत्साह से पूर्ण हो
योग के बारेमे और इनकी एक एक very interesting बाते हमने इन्ही ब्लॉग में yoga के category में पूर्ण रूप से लिख लिया है. शरीर के अलावा हमें मन को भी train करना है हमारे भीतर छिपा हुवा आनंद बहार निकल कर आये और हमारा जीवन पूर्णरूप से आनंद से भर जाये इसके लिए हमें ध्यान की practice करनी है. इस तरह से योग का अभ्यास हमें शाररिक रूप से तंदुरस्त करेगा और मानसिक रूप से तरोताजा और आनंदित रखेगा.
इस तरह से हमें योग का अभ्यास निरंतर करते रहना है
स्वतंत्र अभिव्यक्ति के रुपमे हमारा स्वीकार
हम जानते है ये थोडा गहन लगता है लेकिन १०० प्रतिशत सच है. ये सारा दुनिया, ये सारी चीज वस्तुए, ये सारे लोग हम क्यों चाहते है ? यह सब हमारे लिए है. हम आनंदमें रहे हमे दुःख न हो, खुश रहे इसलिए हम यह सब चाहते है. ये शरीरभी अगर हमे परेशान करने लगेगा तो उनसेभी हम नफरत करने लगेगे. ऐसे कई ला इलाज रोगी है जिसे अपने ही शरीर से छुटकरा पाने की इच्छा हो जाती है. इसलिए तो कइ लोग ऐसेभी है जो suicide कर लेते है. हम जो सोचते है वह हमारा मनभी अगर हमे परेशान करने लगे तो कोई लोग उनसे छुटकारा पाने के लिए बेहोशी या नींद की दवाईभी लेते है.
इनका मतलब ये हुवा की हम किसी भी हालमे खुश रहना चाहते है, आनंद महसूस करना चाहते है. उनमे कोई बाधा आ जाये तो हमें वह बात कांटे की तरह चुभती है. ये तभी संभव है जब हम ये माने की हम एक स्वतन्त्र अभीव्यक्ति है. शरीर, मन ये जग सारा हमारे से भिन्न है और हमारे लिए साधन है. जब ये बात हम सोचेगे और ये मानने लगेगे की हम सवयंम ही आनंदमई है तब हमें आनंद के लिए दुसरो पर depend नहीं रहना पड़ेगा. क्योकि जो आनंद के लिए दुसरो पर depend नहीं रहता वही सचमुच आनंद लुट पायेगा. वरना क्या होगा की ये सारी चीज वस्तुओं का ख्याल और उनका खो जाने का डर उन्हें प्रतिदिन रहेगा. यही हमारी आखरी tips है.
अपेक्षाऔ को थोडा कम रखना !!
अपेक्षाऔ को हमें कम रखना चाहिए. किसीभी व्यक्ति से हमें बहुत ज्यादा अपेक्षा है और वह हमारी अपेक्षा के अनुसार काम नही करेगा तो हमें बुरा लगेगा. इसी तरह से हमें ये सारे जगमे कई चीज वस्तु की अपेक्षा रहती है. और हरेक के जीवनमे ऐसा नही हो शकता की जो कुछ हम पाना चाहते है वह हमें मिलही जाये. कभी कभी ये सारी अपेक्षित सामग्रीया हमारी सोचसे ज्यादा मिल जाये और कभी कम मिले !! ये सारी घटना ये अनिश्चित है इसलिए इसमें थोडा थोडा variation आना बहुत स्वभाविक है. इसमें हमें मनमे गिले सिक्वे नही रखने है.
हा प्रयास हमारा जारी रहना चाहिए लेकिन उनके मुताबिक ही हमें मिले ये बात मन से निकाल देनी है. भगवद गीता में भी केवल कर्म करने का ही कहा है फल की आकांशा नहीं रखनी है. केवल कर्म को ही प्रेम करना है. यही हर पल खुश रहने का राज है.
इनके अलावा हम यह भी सोच शकते है की जैसे हम दुसरो से अपेक्षा रखते है उसी तरह से दुसरो को भी हमारी अपेक्षा हो शकति है. क्या हम उन अपेक्षाऔ को पूर्ण कर शकते है ? यह सवाल का उत्तर हमें काफी हद तक समजा देगा
बीती हुई बाते भुल जाना
मेने इतने कितने लोगो को देखा है जो हर पल past के कुछ पहलुमे अटके हुवे है. मतलब यह की वह जब भी कोई बात करते है तब अपने बीते हुए कल में जो कुछ भी कठिनाइया महसूस की है उसीका ही मनही मन सोचते रहते है. इतना ही नहीं किसीने उसे दुःख पहोचाया हो तो उनके बारेमेभी हर पल सोचते रहते है और मनमे दुखी रहते है. उन सारी बीती हुई बतोको याद करनेका कोई मतलब नहीं है क्योकि जो बिट गया सो बीत गया. वह पल हमारे जीवनमे कभी आने वाला नहीं है. उनका सोचके हमें वर्तमान के आनंद को नष्ट करना नही है. क्योकि हमारा वर्तमान ही उज्वल भावी के निर्माण में आधारभूत है.
बस यहा इतना ही. ये ब्लॉग आपको जरुर पसंद आया होगा. आपका अभिगम comment box में जरुर लिखियेगा. में आगेभी ऐसे चिन्तनात्मक ब्लॉग आपके लिए लिखते रहूगा
खुश रहने के लिए इतना काफी है
हमारा मन ही कुछ न कुछ परेशानी खड़ी करता है और हम उसी में उलझे रहते है सर जी ठीक बताया
Bahat sundar vichar. Jiwan ko nayi disa ki taraf le jaegi jaha sab sahaj hi hogi. Om shanti