क्या है ये दिव्य उर्जा ? इनसे हमे क्या लाभ होता है ?-Cosmic Energy in hindi

क्या आप up-set रहते है ? क्या आपको तनाव, चिंता, बेचेनी,हताशा महेसुस होती है ? ये सब cosmic energy पूरी मात्रा में न मिलनेके बजाय है!! इने पढ़े जो आपके लिए बेहद जरूरी है !!

आपको कभी ऐसा ख्याल आता होगा की आखिर यह विश्व क्या है ? किस तरह से इसका निर्माण हुवा होगा. ये सूर्य, चाँद, तारे, पृथ्वी और यह सारा ब्रह्माण्ड आखिरमे क्या है ? क्या हमारा connection उनके साथ है ? क्या हमारी वर्तमान सारी समस्या उनसे जुडी हुई है ?

यह energy क्या है ? Cosmic energy definition. उस उर्जा को हमारे शरीर में ज्यादा उपयोग में कैसे लाया जाये ? उनके द्वारा हमे वर्तमान जीवन में कैसे लाभ हो शकता है ? हमारा जन्म क्यों हुवा है. हमे जीवन में क्या करना चाहिए मतलब हमारा जीवन ध्येय क्या हो शकता है ?.

इन सारे सवालों के जवाब यह blog की series में मिल जायेगे. आपको बस पढ़ते रहना है और जो भी साधना या meditation इनमे बताये जायेगे यह करते रहना है. सफलता, ताजगी और आनंद का अनुभव, समस्याऔ का काफी हद तक निवारण इसीसे हो शकता है. में बड़े अनुभव के साथ कहता हु की बड़ी अद्भुत और चमत्कारिक है !!!.वास्तव में जबभी कोई मन में चिंता तनाव और कुछ up-set महसूस करने लगता है तब cosmic energy का बहाव उनमे कम हुवा ऐसा हम कह शकते है.

वैश्विक चेतना क्या है ? –Cosmic energy definition-Cosmic energy meaning in hindi

सब से पहले हम यह जाने क – what is the cosmic energy ? पहले से ही हमारी पद्धति कुछ ऐसी है. हमे केवल information नहीं चाहिए. क्योकि ये तो हमें एक ही click से मिल शकती है. हमे यहा पर दो बात समजनी है पहली यह की हमे इससे क्या फायदा हो शकता है ? और दूसरा है सोचने का कुछ नवीनतम idea !! हमारे सारे ब्लॉग के topics कुछ इस तरह से बनाये गये है.

विश्वमे फैली हुई उर्जा cosmic energy कहलाती है. उसी उर्जा से सूरज और तारे रोशनीसे भर जाते है. galaxy, nebula, ब्रह्माण्ड के सभी पदार्थ  और सभी अवकाशीय पदार्थ इसी उर्जा से कार्यवंत है. इतना ही नही ब्रह्माण्ड में जो कुछ भी है ये सब इनका ही घनीभुत भाग है. यही उर्जा समय समय पर घन और energy के रुपमे रूपांतरित होती रहती है.

प्रत्येक कोष के केंद्र में उर्जा छिपी हुई है यह बात अणुबम्ब की शोध से साबित भी हो चुकी है. यही उर्जा के द्वारा प्रत्येक cell (कोष) कार्यवन्तित होते है. यह हमारे भीतर भी है और बहार भी. पृथ्वी पर भी है और अंतरिक्ष में भी. जीवो में यह प्राण के रुपमे विद्यमान है. ये life-force है. यही चेतना cosmic energy अत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त है.

हमारे शरीर में सभी क्रिया इनसे ही चलती है-All the activities take place in our body by cosmic energy

हम श्वास लेते है तो उनकी बजाय, हम खाते है, पीते है तो उनकी बजाय, इतना ही नहीं कोई विचार या चिन्तन इत्यादि मन से की जाने वाली सभी क्रिया भी इसी उर्जा या चेतना से होती है.

जब मनमे बेचेनी हो, चिंता से मन घिर जाये और कुछ up-set मालूम पड़ने लगे तो मान लेना की हमारा connection उस उर्जा से कम हो गया है. मान लेना की हमे direct यह उर्जा cosmic energy नही मिल रही है और हमारा शरीर केवल नींद में मिलती उर्जा पर depend हो गया है.

ब्रह्म केंद्र से निरंतर उर्जा का बहाव होता रहता है. जैसे मोबाईल के waves telecast होते रहते है. मोबाईल में बात करने में या net connection में थोड़ी सी गरबडी मालूम हुई की तुरंत हम कहते है की “भाई लगता है connectivity down है.”

इसी प्रकार यह उर्जा भी हमारे week instrument (subconscious mind and conscious) के कारण कुछ न कुछ रुकावट पैदा करती है.

आप कहोगे की सोच तो चेतन मन में उत्पन्न होती तो बिचमे ये क्या ? चेतन मन में जो सोच उत्पन्न होती है उनके संस्कार ही यहाँ पर जमा होते है. और बादमे हमे परेशान करने लगते है. इसलिए तो कोई भी आदत जल्दी से सुधरती नही.

वास्तवमे यह उर्जा कुछ खास frequency में फेलती है अगर हमारे भीतर यह माध्यम विकसित नही हुवा तो यह हमे आसानीसे निरन्त प्राप्त नही होगी. हा, जीवन जीने के लिए life force जो जरूरी है वह हमें automatically मिल जाती है. लेकिन extra energy को पाने के लिए हमे कुछ खास प्रयास करने  पड़ते  है. यह बात  हम next में बतायेगे.

ब्रह्माण्डीय उर्जा के लिए पृथ्वी, ग्रह, तारे ऐसा कुछ बंधन नहीं है. जैसे space में ही पृथ्वी है, सूर्य है, चन्द्र है, सभी ग्रह, तारे सबकुछ उसमे तो है. भला कोई आकाश को इन सबसे अलग कैसे कर शकता है ? इस तरह यह cosmic energy भी सभी जगह पर मोजुद है. लेकिन उनके अनुरूप frequency न होने के कारण यह हमे सहजता से नही मिलती. 

अगर किसीको यह बात कुछ अजीब लगे तो यह कहना है की यह पूरा विश्व बहुत अजीबो गरीब है. अगर आप अपने शरीर की रचना के बारेमे सोचेगे फिरभी पूरी तरह समज नही पायेगे. विज्ञान इतना आगे बढ़ा है फिरभी शरीर के और ब्रह्माण्ड के बारेमे वे एक प्रतिशत से जयादा नही जानता. हलाकि cosmic energy के बारेमे तो विज्ञान ने भी साबित कर दिया है. आगे हम यह विज्ञानिक का नाम बतायेगे जिसने यह बात की.

प्राचीन रुषी मुनिओभी वैदिक ग्रंथमे यही शक्ति को ब्रह्म और माया के रूपसे आलेखा गया है. यही परमात्मा की चैतन्य शक्ति है. जैसे मरी और उनकी तीखास अलग नहीं हो शकती इसी तरह से यहा भी यही चेतना ईश्वरीय चेतना(divine power) से अलग नही है. इतना ही नहीं हमारे भीतर भी यही चेतना cosmic energy है. (divine self-self awareness)

सामान्य रूप से हमे ये उर्जा कैसे मिलती है ?-How does it flow in the normal form

यह cosmic energy है तो बड़ी चमत्कारिक !! प्राण के रुपमे रहने वाली ये उर्जा हमे ज्यादा मात्रा में नीद में मिलती है. इसलिए तो इस उर्जा की कमी महेसुस हो तब हमें नीद आने लगती है. यहाँ पर व्यवस्था यह है की जब कोई गाढ़ निदमे होता है तब उन्हें यह दिव्य उर्जा का लाभ इतना मिलता है की जिसे वह अपना जीवन टिका शके.

हम जब गाढ़ निद्रा में होते है तब इस निद्रा से जागते समय पर सारी थकान दूर हो जाती है. एक प्रकार की ताजगी मिलती है. इस तरह से दिन भर की थकान गायब हो जाती है. लेकिन अगर यह निद्रा गाढ़ नही हुई और कोई विचार चालु ही रहा तो हमें cosmic energy ठीक मात्रा में नही मिलती जिनके कारण दुसरे दिन हम थकान महेसुस करते है.

वास्तवमे नीद विज्ञानिको लिए एक बड़ा रहस्य है. नीद के बारेमे आज भी कई शोध चालू है. निदमे ताजगी का अनुभव क्यों होता है उनका जवाब वैज्ञानिकोभी ढूढ नहीं पाए. अगर कोई कहे की निदमे हमारा mind बंध हो जाता है तो यह भी सही नहीं है.

लेकिन योगमे इनके बारेमे स्पष्टता है की निदमे हमे यही विश्व चेतना का थोडासा अंश मिलता है जिसके कारण हम सुबह उठकर ताजगी से भर जाते है. यही अवस्था सुसुप्ति की है.

वैश्विक उर्जासे हमे क्या क्या लाभ होते है benefits of Cosmic energy

ब्रह्माण्डीय उर्जा वास्तवमे life-force है मतलब की जीवन जीने के लिए जो उर्जा है वही cosmic energy है. वास्तवमे तो हमने उपर देखा इस तरह से सबको यह उर्जा अल्प मात्रा में मिलती है. आम तौर पर यह नींद में ज्यादा मिलती है.

इतना ही नही जब आप थोड़े अपने आप में मतलब की शांत होकर self awareness में होते है तब यह उर्जा हमे मिलनी शरू होती है. लेकिन हमे यह मालूम नही होता है. इसलिए हम क्या करते है की तुरंत ही दूसरी उलजनोमें घिर जाते है और यह उर्जा का बहाव रुक जाता है उलजनो में रहते हुवे भी हमे इनके साथ जुड़े रहना है. यह तकनीक यहा पर आगे सिखाई जाएगी.

जब आप कोई अपनी पसदगी का काम करते है तब एक समय ऐसा आता है की आप पूरी तरह उसमे खो जाते है. तब ही एक छोटी सी आनंद की एक लहर दिमाग के उपरे सिरेमें महेसुस होती है. उस समय में आप आसपास के वातावरण और अपनी body को भी भूल गये होते है.

इसी समय यह उर्जा का अनुभव होता है लेकिन यह ज्यादा समय रुकता नही है क्योकि लम्बे समय तक उसे टिकाने की तकनीक आपको मालूम नही है. यहा पर हम एक छोटी सी यादी लिख रहे है जो इस उर्जा के स्वरूप को भी समजाती है.

  • यह उर्जा हमारे शरीर को चलाती है. श्वशनतंत्र, पाचनतंत्र, उत्सर्जनतंत्र आदि जो कुछ भी रचना हमारे शरीर में है उन्हें नियत्रित करती है और चलाती है.
  • यह शरीर में विविध ग्रथिओं glads के माध्यम से खास प्रकार का स्त्राव उत्पन्न करती है जिसे हमारे शरीर की सभी क्रिया का नियमन होता है मतलब की शरीर में blood का circulation कितनी मात्रा में होना चाहिए. पाचन तंत्र में खाने के बाद जो कुछ process होती है वह. मतलब की सारी क्रिया जो शरीर में स्वयम संचालित तरीके से चलती है उनका कारण यह दिव्य उर्जा है.
  • रोगप्रतिकारक शक्ति को बढाती है जो हमे रोगोसे मुक्त करती है. जिसकी ये शक्ति जागृत होने लगती है उसके आसपास एक दिव्य घेरा छा जाता है जिसे ओरा कहते है इनके कारन bacteria दूर रहते है. एक दिव्य चेतना का बहाव होता है जो शरीर में रोगप्रतिकारक शक्ति को बढाता है.

हमारे शरिर में दो प्रकार की क्रिया होती है एक क्रिया वह है जो स्वयम संचालित तरीके से होती है. उसका कोई भी आदेश हमे नहीं देना पड़ता. हम इनसे मुक्त है इसलिए तो ठीक से जी पा रहे है. मान लीजिये हमने खाना खाया फिर उनको पचाने में अगर हमे सोचना पड़ता तो !

उसे कैसे पचाया जाये हमे क्या उपयोग में लाना है ! ये सब सोचना पड़ता तो हमारा जीना मुस्किल हो जाता. यह सब क्रिया में cosmic energy का रोल है. लेकिन अनजानेमें यह सब होता है. अब जो दूसरी क्रिया है वह हमारे चेतन मन के आधार पर होती है.

इसमें हमे कुछ करनेके लिए सोचना पड़ता है. अगर हमे बाहर जाना हो तो हमे पैरो को आदेश देना होगा. इसी तरह से हमारा दिमाग निरंतर सोचता रहता है उनमे भी यह उर्जा की खपत होती है. लेकिन अगर उसे खास तरीके से जगाया जाये तो यह उर्जा हमे ज्यादा मिल शक्ति है. इसीसे हमारा चित एकदम आनंद से भर जायेगा. एक दिव्यता की लहर हम पर छा जाएगी. हमे काम करने में ताजगी महसूस होंने लगेगी. इनसे आगे के और अनेक लाभ है. ये मानव को महामानव तक बना शकती है.

यह ब्रह्माण्ड के बारेमे वैज्ञानिको ने क्या शोधकी ?-cosmic energy manipulation

ब्रहमांड की उत्पति की बात cosmic energy से जुडी हुई है. इसलिए cosmic energy से हमे क्या लाभ मिलता है उनके बारेमे सोचेने बाद अब विज्ञान इनके बारेमे क्या कहता है वह देखते है. Cosmic energy ko पाने की विधी तो हम next में ही सोचेगे.

Universe and cosmic energy really important suject. जबसे मानव ने शोध करना शरू किया  तबसे ले कर आज तक यह investigation में बहुत interesting subject रहा है. इनकी अगत्यता इतनी बड़ी है की अनेक धर्म ग्रंथो में भी इनके बारेमे काफी कुछ लिखा गया है. हिन्दू धर्म ग्रंथो और वैदिक ग्रथो इससे पूर्ण है. क्योकि यह हमारे अस्तित्व से जुडा हुवा है हम सब इसी universe के elements है .

आजभी इनके बारेमे शोध चालू ही है. अगर वर्तमान समयकी बात करे तो आज भी विज्ञानिको ने एक बड़ा ब्लेक होल ढूढ निकाला है. उनसे ये ब्रह्मांड की उत्पति के रहस्य के सुलजने की आशा है. फिरभी उनमेभी कई सारे मतभेद है.

ऐसा इसलिए होता है की यह ब्रह्मांड इतना विशाल है की हम उनकी कल्पनाभी नहीं कर शकते. एक छोटी सी चीटी के आगे पूरा हिमालय खड़ा हो तो क्या होगा ? मूल रूपसे हमारा सूर्य और इनके साथ जुडा हुवा ये सौर मंडल (मतलब की पृथ्वी सहित जो अन्य ग्रह है वे) उनकी गिनती ब्रह्मांडमें एक डॉट के बराबर भी नही है.

हमारी पृथ्वी और इसमें हम कहा है ? where are we in this universe ?

शक्तिशाली शुक्ष्मदर्शक यंत्र से ब्रह्माण्डके नक्शे में हमारा सूर्य मंडल अगर दिखाय भी दे तो एक बिंदु से ज्यादा कुछ नही. सूर्य हमारी पृथ्वी से १३ लाख गुना बड़ा है. भीर भी उनकी गिनती भी कुछ नही तो ये पृथ्वी और उसमे एक मानव की क्या गिनती हो शक्ति है ?

हमारी बुध्धि क्षमता इतनी नहीं है इनके आलावा जब हम सोचते है तब हम हमारी यह शरीर की सीमा को बांध कर सोचते है. योगमे इतनी क्षमता है की इसका अनुभव कर शके क्योकि यह विद्या हमे शरीर के पर होने का अनुभव कराती है. भीर भी अनेक वैज्ञानिकों ने कोशिश जरुर की है.

Albert Einstein की थियरी इस ब्रह्माण्ड के बारेमे काफी कुछ कहती है

और एक थियरी जिनके आधार पर आज भी माना जाता है वह है big bang की थियरी. उनके मुताबिक करोड़ो साल पूर्व जब यह कुछ नही था.

न तो सूर्य था, न तो पृथ्वी. तब एक अंधकार सा था उसी समय ब्रह्म केंद जिसे इस ब्रह्माण्ड का केंद्र माना जाता है वहा कुछ ऐसी घटना हुई की एक इतना बड़ा धमाका हुवा और धीरे धीरे यह सब matters फेलने लगी. .

आज भी उस धमाके की बजहसे ब्रह्माण्ड निरंतर दूर दूर तक फेलता ही जा रहा है. इस थियरी को पुष्ठी दी Albert Einstein’s ने. हलाकि इन शोधके पिता Georges Lemaitre थे. They led to the big-bang theory of how the universe was born.

जो energy है वही matter के रुपमे हमारे सामने है और यही ब्रह्म है जो हमारी भीतर की चेंतना है.

Albert Einstein को हमने यु ही यहा पर याद नही किया उस वैज्ञानिकने जो कहा उससे वैदिक योग संस्कृति को एक प्रमाण मिला. जिसने वैदिक सिधांत को साबित कर दिया. वह है Theory of Relativity मतलब की सापेक्षवाद. हलाकि यही सिध्धांत वेदांत में द्रष्टा और द्रश्य के सिध्धांत से पहेले से ही लिखा हुवा था.

जिसे वेदांत में ब्रह्म कहा गया है. यही चेतना सारे ब्रह्माण्ड की रचना करती है. लेकिन यही चेतना या energy खुद ही ब्रह्माण्ड बन गई है. Albert Einstein ने भी यही कहा था की there is no difference in mass and energy. मतलब की पूरा ब्रह्माण्ड की जितनी भी mass है वह energy में तबदील हो शकती है और वही energy एक समय में फिर से mass बन शकती है. यही बात हम cosmic energy के सिध्धांत में याद रखनी है.

थोडा आगे सोचे तो big bang हुवा

जिस तरह से ब्रह्माण्ड फेलता गया इससे उल्टी प्रक्रिया भी चालू होगी. धीरे धीरे वह फिर से सिकुड़ना चालू हो जायेगा और सारा फिरसे dark matter में convert हो जायेगा. फिर से सेकड़ो साल बाद बिग बेंग होगा और यह ब्रहमांड की उत्पति होगी.

यही सिध्धांत हो शकता है. क्यों की हम देखते है की इस दुनियामे सारी घटनाऐ निरंतर एक वर्तुलमें घूम रही है. दिन होता है और रात होती है, जन्म होता है मृत्यु होती है. आकाशमे पहले जो बिखरी हुई matter वह एकत्रित होने लगती है और तेजी से घुमने लगती है और फिर बनते है तारे, सूर्य इत्यादि. अतमें वह ब्लेक होल बनके सिकुड़ जाती है.

यही बात वैदिक ग्रंथोमें भी लिखी मिलती है

इस तरह से यह सब बारी बारी में निरंतर होता रहता है. वैदिक ग्रंथो में भी इस ब्रह्माण्ड की उत्पति ब्रह्माजी करते है और अंतमे ब्रह्म रात्रि आती है और उनमे प्रलय आ जाता है.

मतलब की यहा पर केवल इतना ही जानना है की. जिस तरह से हमारे शरीर की उत्पति होती है और उनका नाश होता है उसी तरह से इस ब्रह्माण्ड की भी उत्पति होती है और उनका नाश होता है.

हलाकि यहाँ पर एक रसप्रद बात है की किसीभी जीज का नाश नही होता है उनका रूपान्तर होता है. आप कहेते है वह कैसे ? मान लीजिये आपके पास एक कागज का टुकड़ा है. आप उनका नाश करना चाहते है.

यहा पर कागज नाम का नाश हो जायेगा किन्तु जो इसमें elements है उनका नाश नहीं होगा उनका रूपान्तर होगा. थोडा भाग उर्जामें चला जायेगा. दूसरा भाग हवामे धुवे के रुपमे उड़ जायेगा. और अंतमे उस टुकड़े की रखिया तो रहेगी ही. इस तरह पानी का भी है. कुल मिलाके एक बात तय है की हम पंच महाभूत तत्व का नाश नही कर शकते. यह पंच महाभूत तत्व ही उसी उर्जा का घनीभुत भाग है. उससे भी आगे सोचे तो यही उर्जा मनोंमई है मतलब की संकल्प से उत्पन्न हुई है.

आगे हम यही सोचेगे की इस उर्जा को जगाने के लिए हमे क्या करना चाहिए

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