माइंडफुलनेस मैडिटेशन में क्या होता है ? | Mindfullness meditation kaise kare ?
आपको जानके ताजुब होगा की हम अपने आपको जानते ही नही. हम अपने आप में जीवन जीते ही नही. हमारे आसपास बहुत सारी घटना होती है. द्रश्य होते है लेकिन उस द्रश्य को हम देखते
Spiritual subject is not only for sense of philosophy but it is good practice for routine life too. In this category we try to explain that spirituality mix up with our daily life. so we can be happy and full of joy to obey the rules
आपको जानके ताजुब होगा की हम अपने आपको जानते ही नही. हम अपने आप में जीवन जीते ही नही. हमारे आसपास बहुत सारी घटना होती है. द्रश्य होते है लेकिन उस द्रश्य को हम देखते
ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे हम पूरी तरह से recharge हो जाते है. आम तौर पर तो लोग इसे एक concentration लगाने की तरकीब ही मानते है. मतलब की हम मन को कोई एक
मित्रो ! एक बेहद महत्वपूर्ण बात हम यहा पर करने वाले है. ये बात ऐसी है की हमारी आजतक की पूरी समज को हिलाकर रख देगी ! हमारी इस चर्चा में हमे ये भी जानने
मनुष्य इस ब्रह्मांड का एक ऐसा लोता प्राणी है जिनके पास बुध्धि है. वह अपनी बुध्धि का इस्तमाल करके अपनी स्थिति के बारेमे सोच शकता है. उन्हें सुधार शकता है. उनका जो आजका जीवन है..
ब्रह्मचर्य के इतने लाभ है की कई युवान आज दो साल, तिन साल तक का ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे है. खास करके आज के जमाने में mobile, internet आदि बहुत बढ़ गये है. इसमेंभी जबसे पोर्नोग्राफी की भरमार उसमे डालनी शुरू हुई की युवान इसमें फसते चले गए.
पशु और मानव में यही एक अंतर है जिसे वह अलग पड़ता है. पशु को खान, पान और प्रजनन का ही पता होता है. लेकीन मनुष्य को अक्सर एक परेशानी सताती है की वह कौन है ? उसे खो जाने का, छुट जाने का और कोई मुसीबत आने का डर सदेव रहता है !.
ये बात को पढके किसी को कुछ अलग लगे नवीनतम लगे. लेकिन इसमें कोई भी अतिश्योक्ति नही है. उपनिषद हमारे जीवन के प्रश्नों के हल करता बन शकते है. ये गूढ़ ज्ञान केवल ग्रंथो में भरा पड़ा है. उसे केवल निवृति का ज्ञान बताके हम उससे दूर रहे है !!
यहा पर हम जानेगे की निरंतर आनंद क्या है ? और उसे कैसे पाया जा शकता है. हमारा ध्येय कुछ ऐसा है की जीवन हमे जीने योग्य लगे. हमे जो पीड़ा होती है, अकेलापन का
मित्रो, हमारा जीवन अनेक रहस्यों से भरा हुवा है. सामान्य स्थिति में हम इतना ही जानते है जितना हमे बताया जाता है. जब किसी बच्चे का जन्म होता है तब से उसे शिखाया जाता है.