ऐसा ग्रन्थ जो सभी मार्गो को जोड़ता है-Bhagwat geeta saar hindi

हमारे वैदिक सनातन धर्म में जीवन को जीने के और उनके द्वारा जीवन लक्ष्य की प्राप्ति के अनेक मार्ग है. जिसमे ज्ञान मार्ग है, कर्म मार्ग है, योग है, सांख्य है, भक्ति योग है. इस

कर्म योग का आचरण किस तरह से ?- How to Perform Our Duties ?

कर्म योग एक गीता का विज्ञान है. कर्म किये बिना कोई रह नही शकता. लेकिन अगर हमारे कर्म ऐसे हो की हमे धीरे धीरे निम्न स्तर पर लाये तो ये बंधनकर्ता होगे. लेकिन अगर ऐसे कर्म किये जाये की

किस तरह से हम कार्य करते हुवे भी उपर उठे-Bhagavad Gita: Chapter 5, Verse 7

आज के समय में ज्ञान की बाते थोड़ी बड़ी लगेगी लेकिन एक स्टेज प्राप्त करने के लिए जहा हम प्रशन्नता से कार्य भी कर शके और उनसे स्वतंत्र भी रह शके ऐसा ये श्लोक है

Bhagavad Gita: Chapter 4, Verse 37-यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन

किस तरह से हमारे कर्म अपने संस्कारो के साथ नष्ट होते है. यह बात भगवद गीता हमे शिखाती है. कोई भी कर्म ऐसा नही है जो अपनी छाप न छोड़े यही बात हमे कभी कभी परेशान करके रख देती है. क्योकि बुरी आदते हमे धीरे धीरे और भी निचे गिरा देती है

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन-karmanye vadhikaraste shlok

प्रथम द्रष्टि में तो ये इतना ही समज आ शकेगा की यहा पर केवल इतना कहा गया है की कर्म करते रहो लेकिन फल के बारेमे न सोचो लेकिन यहा पर इनसे ज्यादा बहुत कुछ समजाय गया है. निचे दिए गये point का आप अभ्यास करेगे तो मालूम होगा की ये कर्म को सफल करने की तरकीब है

गीता में छिपा है जीवन को बदलने वाला ज्ञान-Can Bhagvad Geeta change life ?

bhagavad-gita

आपने ये शीषर्क पढ़ा क्या ये हो शकता है ? आम तौर पर तो हम भगवद गीता को केवल एक अध्यात्मिक ग्रन्थ के रूप में देखते है ! लेकिन इसमें ऐसे राज छिपे हुवे है