हमे जीवन में क्या करना है ? हमें जीवन क्यों मिला है ? हमारा जन्म क्यों हुवा है ? ये प्रश्न ऐसे है की हरेक को जीवन में कभी कभी तो उठते ही है !! what is the aim of our life. जब कोई जीवन से थक जाये, तब उसे ये सवाल मन ही मन बेचेन कर देता है.
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जीवन का ध्येय क्या है ? -what is the aim of life in Hindi
जब कोइ जीवन में मुश्किल से घिर जाये, तब भी निराश हो कर उसे जीवन से ही, एक प्रकार की थकान लगने लगती है. तब वह मन ही मन disturb हो जाता है. उसे ऐसा प्रतीत होने लगता है की, उसे कुछ करना अलग है और वह हालमे कुछ करता अलग है.
वास्तवमे तो ये प्रश्न ही ज्ञान की निशानी है. क्योकि अज्ञान में तो कई जन्मो बीत जाते है. हम बार बार क्रिया को पुनरावर्तित करते रहते है यह क्रिया अच्छी हो या बुरी. इसलिए तो अगर कोई पूरा समाज अंध विश्वास में फंस जाये, तो वह वैसा ही करता रहेगा.
हमारा ब्लॉग इन गहन विषय को समजाने के लिए. उसे जीवन में किस तरह से उतारा जाये की जिससे हमारा विकास हो पाए इनके लिए है.
यह एक बड़ा ही सामान्य फिर भी असमान्य प्रश्न है. क्योकि इनका उत्तर एक दुसरे से अलग अलग होते है. जिसे भी पूछो कुछ अलग ही कहते है. Aim of life is very difficult question. जबभी कोई बुध्धिजीवी या मर्मज्ञ या तत्व चिंतक सोचने लगता है, तब अपनी सोच के अनुसार उसे वर्णित करता है.
यहा पर ही अलग अलग उत्तर मिलने की संभावना है. इतना ही नही कभी कभी तो उनके अभिप्राय आपस में भिन्न होते है. फिर भी अगर कोई बहुत ही उपर से देखे तो ये सब समजने में बहुत ही आसान है. हम इसी विषय को कुछ ऐसे मुद्दे में बाटते है, की समजना आसान हो जाये. उतना ही नही हम सचे अर्थ में जीवन का विकास कर पाए. we can use our life for aim of life .
सर्व सामान्य ध्येय जो सब कोई रखता है -Common aim of life
एक सर्व सामान्य ध्येय जो सामान्य व्यक्ति रखते है. वह है पैसे कमाना, सुख सुविधा को प्राप्त करना, मान सम्मान पाना, अच्छी बीबी, सुदर बच्चे और पूरी facilities से भरा हुवा घर.. इनसे आगे अच्छा खाना, घूमना फिरना और मोज मजा करना.. यही जीवन का ध्येय है. ऐसी सामान्य व्यक्ति की मान्यता है.
इनसे आगे कोई ऐसा भी सोच शकता है, की सत्ता मिले. मान मर्तबा, रुतबा मिले.. कोई सन्यासी बन जाये फिर भी उसे उनकी वाह..वाह.. हो ऐसा ध्येय होता है. कुल मिलाके ये तो तय है की सामान्य तौर पर व्यक्ति.. खान, पान और प्रजनन को अपना ध्येय मानता है. ये बात किससे छिपी है. सब कोई जानते है इसलिए इनके बारेमे ज्यादा कुछ नही बतान. some one like this type aim of life .
सामान्य ध्येय को मर्यादित करने वाली बाते – Limitation in common aim of life
जीवन ध्येय के बारेमे, जो सामान्य बाते है वह तो हमने जानी. लेकिन कुछ ऐसे तर्क है. कुछ ऐसी बाते है. जो “केवल यही जीवन ध्येय है..” इस बात को ठुकराती है. इनके बारेमे. aim of life .
अंतमे सब कुछ छुट जाता है..
अगर कोई इसी दुन्यवी चीजो को बटोरना ही अपना जीवन का लक्ष समजे. तो अंतमे उनके हाथ कुछ नही आएगा. क्योकि आखिरमे ये सब तो छोड़ देना है. ये बात छिपी नही है, की हरेक वस्तु का अंत हो जाता है. हमारा शरीर का भी..सब कुछ आखिरमे छुट जाता है. ये जगत वह बगीचा है जहा पूरी जिन्दगी में जो कुछ भी बटोरे हुवे फल है. वह यहा पर ही छोड़ देना है. इसलिए केवल बटोरना ही ध्येय है तो ये बात ठीक नही !! it looks strange as aim of life
नित्य परिवर्तनशील होने के कारण कब दुःख आ जाये पता नही
अगर आधार यही चीजो का हो,तो बार बार असंतोष, दुःख, तनाव, अतृप्ति का सामना करना पड़ता है. आदमी एक तरह से अपने आप को अधुरा समजता है. उसे संतोष नही होता अपनी चीजो से… इसलिए आनंद का अनुभव भी नही होता.
अपने आनंद को वह दूसरी चीजो को मिलने तक मुल्तवी रखता है. इसतरह से उनकी ये आनंद को मिलने की यात्रा कभी समाप्त होती ही नही. जीवन के आखरी वक्त तक उसे ऐसा ही लगता रहता है की उससे कुछ छुट गया है. उसने कुछ नही किया. when the thing itself is mortal so how can it be the aim of life ?
बहुत कुछ पास होते हुवे भी आनंद नही
हा, यह विडम्बना हो शकती है. पास सब कुछ है फिर भी तनाव..फिर भी निरंतर आनद जो हमारा स्वरूप है उसे नही मिल पाते. इसलिए केवल यही ध्येय है ऐसा मानने से जीवन ध्येय सिद्ध नही होता So it does not prove as aim of life.
जीवन का ध्येय ये हो शकता है जानिए- It may be aim of life
पुनरावर्तित क्रिया..केवल वह चीज वस्तु जो मिलने के बाद आखिरमे वापस ली जाती है. उनके पीछे ही दौड़ते रहना जीवन का ध्येय मानना कुछ अजीब लगेगा.
उपर उठने का प्रयास जीवन ध्येय – Develop our inner existence may be aim of life
हां उसे हम इस तरह देख शकते है, की ये उपर उठने का प्रयास है. जिस तरह से एक हवाई जहाज धीरे धीरे रन वे पर दौड़ता हुवा उपर उठता है.
उसी तरह से यह मनुष्य जीवन में भी हमारी चेतना का एक स्टेज पर विकास करना उसे उपर उठाना जीवन ध्येय हो शकता है. एक निरतिशय आनंद, एक दिव्य अनुभव, पल पल पर पूर्णता का अहेसास जीवन ध्येय हो शकता है. एक रास्ता हमारे सामने है.
एक अवलोकन से ये बात पता चलती है. जीवन सुख दायक हो शकता है. जीवन दुःख दायक भी हो शकता है. ये दोनों किस्सों में शरीर और अपने आस पास के माहौल के आधार पर निर्णय लिया जाता है. हमारी सोच के अनुसार अगर हो जाये तो सुख.
अगर उनसे विपरीत तो दुःख. हा एक बात यहा पर यह भी है की कुछ ऐसी मुसीबते आती है. उनका इंकार नही किया जाता. फिरभी उसमे भी अडिग रहना और आगे बढना जीवन ध्येय हो शकता है.
मानव और अन्य जीवो के बिच का तुलनात्मक अभ्यास-Comparison between humans and other creatures
दूसरी बात यहा पर यह है की मानव और अन्य जीवो के बिच का तुलनात्मक अभ्यास. अन्य जीवो में केवल इतनी ही बुध्धि क्षमता है. की उनके आधार पर वह मर्यादित प्रकार की अनुभूति कर शकता है. खान, पान और प्रजनन. मतलब की अपने शरीर की पूर्ति और अपने जैसे दुसरे जीवो को उत्पन्न करना ही उनका एक मात्र लक्ष है.
मैथुन में ही उन्हें अंतिम आनंद लगता है. अगर यही बात को मनुष्य के साथ सरखाया जाये तो मनुष्य और पशु में कोई अंतर नही रह पायेगा. अब यहा पर दो बाते उभर कर आती है.
अपनी चेतना का अनुभव. जो में हु. हमारा अपना स्वरूप जो दिव्य चेतना cosmic energy का एक भाग है. उसे अनुभव में लाना और उनका सही दिशा में उपयोग जीवन ध्येय हो शकता है.
हमारी चेतना का अनुभव और उसे सही दिशामे लगाना जीवन ध्येय है-To experience of our inner self and use in proper direction
आज हम जानते है की जो कुछ नई नई शोधे होती है वह मानवजात के लिए उपयोगी होती है. इनका मतलब है की जो कुछ भी हमारे पास है उसे बहेतर तरीके से उपयोग करना और दुसरो को उनका लाभ मिल पाए ऐसा करना जीवन ध्येय है.
हमारा जीवन, हमारी चेतना, और हमारे पास जो कुछ भी है वह सही दिशामे उपयोग हो. उससे हम और अन्य कोई उपर उठ शके ऐसा करना जीवन ध्येय सिध्धि है. इस तरह से दो बात एक दिव्य चेतना का अनुभव और दूसरी उनको सही दिशामे लगाना ताकि अनुकूल वातावरण बन शके उपर उठने का.
द्रेत से अद्रेत की और जाने का. कर्म करने का रहस्य भी यही है. एक माहोल बन पाए जिससे सभी का विकास हो पाए. इन सिध्धांत में सभी महा पुरुष आ जाते है. क्योकि जब भी कोई महा पुरुष का जन्म होता है.
तब उनके कार्य दिव्य चेतना मतलब परमात्मा की अनुभूति और दूसरी बात जन जन का विकाश, लोक कल्याण, अन्य किसी को मददरूप होना..अज्ञानमें से ज्ञान की और ले जाना उनका मुख्य कर्म होता है. उनके लिए जो कुछ भी कर्म, धर्म और ग्रंथो का निर्माण जीवन ध्येय है.
कुल मिलाके ये तय हो शकता है की दिव्यता का अनुभव और उनका सही दिशामे उपयोग करना जीवन ध्येय है.
अगर कोई इनके अलावा केवल मोजशोख को ही जीवन ध्येय माने तो ?–My aim in life
यहा पर उठाया गया प्रश्न बिलकुल सही है. अगर कोई ऐसा माने की हमे जो मिला है, उसे ज्यादा से ज्यादा अपने लिए ,मोजशोख के लिए उपयोग करना. जो नही मिला है ऐसी अतृप्त इच्छाओं को पाना. इतना ही नही कुछ भी करके पाना भले ही रास्ता गलत क्यों न हो.
हा एक बात में बताऊ की यहा पर निर्दोष आनंद और जो कुछ हमारे पास है उनका आनंद मनाना विपरीत नही. क्योकि अगर नकारात्मक भाव ही रखेगे तो जीवन का सहज आनंद भी चला जायेगा. लेकिन जो अधुरप है, अत्यंत लोलुपता और गलत रास्ते का चयन विपरीत दिशा में ले जाता है.
अत्यंत विषय भोग की लोलुपता पतन का कारण बन शकती है
लेकिन मनमे जो अधुरप उत्पन्न हो और दिशा अलग पकड़ ले तो विपरीत हो जाये. यह ध्येय इन्शान को हेवान बना शकता है. हमने पुराणों में पढ़ा है उनमे कितने राक्षस थे जो केवल इन्द्रिय सुख के पीछे पड़े रहते थे. इनके लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे.
उसी तरह से भूतकाल की और नजर दौडाए तो भी हमे देखने को मिलेगा. ऐसे कई राजा महाराजा थे जो अपने विषय भोग के लिए अन्य राज्य को और उनके लोगो को कुचल देते थे. विषय भोग के लिए न जाने कितनी नई नई औरतो को उठा ले आते थे.
क्योकि विषयों का अंत नही होता है. जितना भोगो उतना बढ़ता है. अंतमे तो असंतोष से लथबथ ही रहता है.
उनके साथ अनुभूति और योग्य दिशा को पकड़ लिया जाये तो बात बनती है
उनके साथ अनुभूति और ज्ञान को जोड़ दिया जाये, तो ही जीवन ध्येय हो शकता है. धनवान बनने के लिए प्रयास करना बुरा नही है. धन का संचय और उसे पाना भी बुरा नही. लेकिन बुरा है उनका गलत रास्ते में उपयोग और गलत रास्ते से उसे पाना.
धन से बहुत सारे अच्छे काम होते है. कितने गरीबो को मदद भी मिलती है इसलिए ये बुरा कैसे हो शकता है ? लेकिन अगर धन विषय, व्यसन और वासना को ही बढ़ोतरी दे तो ये जीवन ध्येय नही हो शकता.
क्योकि इनसे हमारे दोनों हेतु अनुभूति और उनका सही उपयोग व्यर्थ चले जाते है.
केवल धन सम्पति और सत्ता के मद में आदमी अँधा बन जाता है. विकारो तो आदमी को पागल बना देते है वह पोर्न और अश्लीलता के चक्कर में पड़कर सारी शक्तिया नष्ट कर देता है. कभी कभी तो उसे मानव कहते हुवे भी शर्म आती है ऐसा वह बन जाता है. so it is opposite to aim of life
विज्ञान का विकास जरूरी लेकिन ध्येय विपरीत तो उल्टा हानिकारक
विज्ञान के विकास में भी अगर उनका सुचारू उपयोग नही हुवा तो विज्ञान भी अभिशाप बन जाता है. आज हम देखते है की मिलावट में विज्ञान का उपयोग करके चीज वस्तु को बिगाड़ा गया है.
इनसे न जाने कितने लोगो की जिन्दगी बर्बाद हो जाती ही. कई बीमारिया आ जाती है. इसी तरह से अगर जैविक हथियार बनाने में विज्ञान का उपयोग किया जाये तो अनेक नये नये रोगों का जन्म होगा और यही मानव जात के लिए खतरे की घंटी बजाएगा.
कुल मिलाके जीवन ध्येय मानवीय गरिमा और इनसे भी आगे महा मावन बनने के लिए महोल बनाने के आधार पर होना चाहिए. तब ही हमारा सच्चे अर्थ में विकास हो पायेगा. ये बात शुरू में थोड़ी रुचिकर नही लगेगी लेकिन आगे जाके यही बात वास्तविक लगेगी