हमे यह दिव्य शक्ति का लाभ क्यों नही मिलता -why is stoppage of inner strength

मित्रो, हमने इनके पहले episode cosmic energy में देखा की विश्व चेतना अनंत है. हमारी सारी समस्या जो जीवन से जुडी हुई हो वह इनसे दूर हो शक्ति है. इतना ही नही हमे आनंद और प्रसन्नता का अनुभव भी हो शकता है !! लेकिन यह energy हमे केवल जीवन को चलाने के लिए मर्यादित रुपमे ही मिलती है. अगर हमे यह उर्जा भारी मात्रा में मिल जाये तो हमारे जीवन के काफी सवालों के जवाब अपने आप सुलज़ जायेगे.

इनके लिए में एक example देता हु. मान ली जिए कोई आदमी की body एकदम weak है इसलिए वह बीमार रहता है. हमे यहा पर बीमारी को ठीक करने के बजाय उनकी body को ही मजबूत बना देनी है. इससे क्या होगा की सारी बीमारी तो अपने आप ही खत्म हो जाएगी. मित्रो, बड़े ही अनुभव से कहता हु की हमारी वर्तमान स्थिति का कारण हम स्वयं ही है.

हमारे शरीर को अगर इस चेतना का लाभ पूरी मात्रा में न मिले तो यह सब हो शकता है.उनका कम होने का कारण हमारे ही कुछ गलत सोच और मान्यता है. मान ली जिए Municipality पुरे pressure से पानी supply करती हो लेकिन हमारी pipe line में ही कुछ disturbance आ जाए, कचरा विगेरे फ़स जाये तो क्या होगा हमें पुरे force से पानी नहीं मिलता. इसमें Municipality का कोई दोष नही है.

लेकिन दोष हमारा ही है. खास करके हमारे दिमागमे कई बुरे विचारो का कूड़ा जमा हो गया है. इसलिए हमे यह उर्जा नही मिलती. हमारी पूरी शक्ति उसी कूड़े कचरे रूप विचारो में उलज़े हुवे रहती है. हमे यह उर्जा नही मिलती इनका कारण जानने से पहले यहाँ पर इस उर्जा को दो भाग में बाट देते है ताकि हमे इनका अर्थ और स्वरूप दोनो ठीक तरह से मालूम पड़े.

Here I simply clarify that most of the problems of our life is depend on cosmic energy flow. Flow of cosmic energy is very weak and so we have to face many problem in life especially physically, mentally and spiritually too. If we can be succeed to remove barrier between we and cosmic energy, many problem will be solved in short time.

Three type of energy we get from cosmic energy-विश्वकी जो energy है उसमे से हमे तिन प्रकार की उर्जा मिलती है.

जीवन टिका रहे ऐसी प्राण उर्जा-life force energy for living life

प्रथम उर्जा life force के रूपमें मिलती है. अगर यह उर्जा न होती तो हम जिन्दा नहीं रह पाते. क्योकि हमारी सासे चलती है तो उनके कारन. अगर हमारा heart constant धबकता है तो इनके बजाय. शरीर को टिकाने के लिए जो कुछ भी क्रिया हमारा शरीर करता है उसमे प्राण उर्जा का महत्वपूर्ण हिस्सा है. प्राण उर्जा यही cosmic energy का ही हिस्सा है. इसीलिए तो दिन-रात हमारी सासे चलती है. अगर सासे रुक गई तो आदमी मर गया. रातको सोते वख्तभी यह चलती ही रहती है. यह प्राण से शरीर की सभी आव्यश्क क्रिया होती है. इनके बारेमे ज्यादा नही लिखना क्योकि यह सारी बाते हम बचपन में भी पढ़ चुके है.

दूसरी चेतना हमे जो अपने आप का अनुभव होता है वह है. -Self awareness is second energy of our life

इश्वर ने हमारे शरीर को केवल एक mechanical instrument ही नही बनाया लेकिन उसे अपने होने का अहेसास हो ऐसा भी बनाया है. वैज्ञानिको के लिए यही बड़े अचरज की बात है. हम आज भी एक रोबट मानव जैसा बना भी ले, लेकिन उस रोबट को “में हु” ऐसा अपने होने का अहेसास नही होगा !! पीड़ा का अनुभव, आनंद का अनुभव और संकल्प शक्ति उसे नही मिलती. उसे अलग अस्तित्व का अनुभव नही होगा. जो जीवित है उसे जीवन का अहेसास होता है. में हु ऐसा अनुभव हमे होता है. आनंद का अनुभव, पीड़ा का अनुभव और सफलता, सुख-दुःख आदि सारे अनुभव हमे हते है. कोई निर्जीव वस्तु को ऐसा अनुभव नही होता है.

मान ली जिए आपके सामने एक खुर्शी पड़ी हुई है. क्या वह अपने होनेका अनुभव करती है ? आप उसे कही परभी रखे वह जराभी express नही करेगी. उसे अपने अस्तित्व का अनुभव नही होता है. क्या वे अपने आप चलने लगती है ??. नही, उसे पीड़ा, भय, खुसी, सुख आदि का अनुभव नही होता.

हमारे पास इच्छाशक्ति है उसे संकल्प शक्ति कहते है-We have willpower to do something new.

आम तोर पर देखा जाये तो ये सरल लगता है लेकिन बड़ा गहन है. संकल्प शक्ति या इच्छाशक्ति एक वरदान है हमारे लिए. हम हमारे वर्तमान स्तर को बदलने में उसी के आधार पर तो सक्षम होते है. कोई भी व्यक्ति इसी के आधार पर महान कार्य कर शकता है.

अगर कोई इक बार दृढ निर्धार कर ले और पुरे आत्मविश्वास के साथ उनके पीछे लग जाये तो बड़े से बड़े कठिन कार्य कर शकता है. यहाँ पर ही हमारी cosmic energy काम करती है. अगर हमारे पास यह energy कम है तो हम आलसी रहते है.

कुछ करने का मन ही नही होता. कितनी भी motivation speech क्यों न सुने लेकिन कुछ करने के लिए मन उठकर खड़ा होता ही नही. या वह दिव्य आनंद की और भी नही चलता. बस पड़ा रहता है totally blank हो जाता है. इसलिए यह भी एक प्रकार है cosmic energy का इस लिए हम इसेभी स्वचेतना की शक्ति में समाविष्ट कर लेते है.

यह पूरा ब्रह्माण्डभी एक संकल्प शक्ति के आधार पर उत्पन्न हुवा है उनका लय भी उसी संकल्प शक्ति के आधार पर होगा. वैदिक साहित्यमे इनके बारेमे उल्लेख है. अर्वाचीन वैज्ञनिको का माननाभी यही है की यह सारी सुर्ष्टि ऐक उर्जा का परिणाम है और यह उर्जा मनोमई है. मतलब की ब्रह्माण्ड में एक ऐसी शक्ति है जिसके संकल्प से यह पूरी सृष्टि का निर्माण हुवा है. यहा पर हम यह कह शकते है की यथा पिंडे तथा ब्रह्माण्डे मतलब की प्रत्येक जीवमे जो इच्छाशक्ति है संकल्प शक्ति है वह उसी दिव्य चेतना की शक्ति का एक अंश है. उसे ही हम cosmic energy कहते है.

यह दिव्य उर्जा न मिलने का कारण-Reason of not receiving more strength from the cosmic energy

अब हम यह बताने का प्रयास करेगे की हमे यह उर्जा क्यों नही मिलती. हम इस शरीर को सामान्य दौर पर physical ही मानते है. लेकिन ऐसा नही है हमारा यह शरीर जो हमे दीखता है, जिसे हम स्पर्स कर शकते है वह केवल बाह्य instrument है. उसे चलाने वाली चेतना भीतर है.

हमारी यही दिव्य चेतना और हमारे शरीर और इन्द्रिय के बिचमे मन आता है. मन के भी दो प्रकार है चेतन और अचेतन. There is two type of mind conscious and unconscious. इसे सरल तरीके से समजे तो हमारा जो बहार का मन है वह सारे विचारो और भावनाओं का वहन करता है. मतलब की अगर हमे दुःख का अनुभव हो तो उनका अनुभभव भले ही हम करे लेकिन तरंगे हमारे चेतन मन में उठती है.

दूसरा मन जो है वह जागृत नही है फिरभी उसका काफी महत्व है. जो कुछ हम करते है उसके शुक्ष्म संस्कार इस मन में जमा हो जाते है. स्मृति के रुपमे. बस यहा पर ही हमे सोचना है. समजना है. हमारी दिव्य चेतना इसी दोनों मन के बिच फंश जाती है.

आधुनिक motivation speech में अवचेतन मन में जरूरी सुचना भेजने की बात की गई है. लेकिन यहा पर योग थोडा अलग पड़ता है. योग दोनों मन से भी उपर जो चित है उन पर जाने की बात करता है. चित में मन उठता है और उनकी सारी वृतिया उठती है उससे हम अलग है ऐसा अनुभव करना है. लेकिन यहा पर हम मुख्य बात कहते ही की यह मन में जो कुछ भी उल्टा सीधा जमा हो गया है उसकी सोचमे ही दिव्य चेतना का बहाव रुक जाता है. निचे कुछ important point दिए गये है.

निरंतर उल्टा सीधा सोचते रहना-Thinking whatever constant

दूसरी बात यह है की हर जिव की आखरी इच्छा आनंद की है निद्रा में यह energy मिलती है तब भी जब हम सुबह उठते है तो एक प्रकार का आनंद का अहेसास होता है. सुबह अगर जल्दी उठ गये और मन में कोई तरंग नही उठती हो तो अपार शांति का अनुभ होना इसी चेतना का हमारे भीतर होना है. सभी को आनंद की तलास है. !! अगर आनंद और शांति मिलती है तो लोगो को अच्छा लगता है हर कोई जिव को अच्छा लगता है.

मतलब की हर कोइ जिव मनुष्यसे लेकर सभी कोई जो आनंद का अनुभव करते है, शक्ति का अनुभव करते है यह इस उर्जा के कारण है. इनता होने पर भी हम देखते है की विश्वमें सर्व कोई किसी न किसी परेशानी से दु:खी है. अगर हम किसी को भी एक पेन और नोटबुक दे और उसे बड़े तटस्थ होकर अपनी समस्या के बारेमे लिखने को कहा जाये तो मेरा मानना है की एक पूरी नोटबुक भी कम पड़ शकती है. एक और हम यह कहते है की विश्वचेतना हम सबमे है. इनसे सारी शक्ति, उर्जा और आनंद मिलता है तो यह दुःख, परेशानी और असंतोष का कारण क्या ?

अगर आप अपने आप के बारेमे पूरी तरह सोचेगे तो भी मालूम होगा की असन्तोष, चिंता, उचाट, अनिद्रा, मेदस्विता, जीवनमे आनंदका अनुभव नही होना, थोडा काम करते ही थक जाना, भिन्न भिन्न प्रकार की व्याधि से पीड़ित रहना, बहुत कुछ अपने पास होने पर भी संतुष्ट नही होना. इत्यादि भिन्न भिन्न प्रकार की परेशानी में हम उलज़े हुवे है.

इसी तरह से यह भी सही है की जिनके पास कुछ नही है उसे क्या करना चाहिए ? ऐसी तरकीब जो उसे सफलता से जीने में मदद कर शके उसके लिए भी यही दिव्य energy मददरूप होती है. वास्तवमे तकलीफ दोनों और से है. कुछ न होना और सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं है ऐसा अनुभव यह दोनों बाते हमारे विश्व चेतना के संपर्क के अभाव को दिखाती है.

ऐसा क्यों होता है ? अगर विश्वमे cosmic energy पूरी मात्रा में है तो हमें उनका लाभ क्यों नही मिलता ? इसी प्रश्न के बारेमे यह epidode में सोचेगे. और इसे पाने के लिए क्या करना चाहि इनके बारेमे आगे सोचेगे. मित्रो मेरा यह ब्लॉग हमारे तन को, मन को, बुध्धि को पूर्ण विकास की और ले जाता पुरे ब्रह्माण्ड का सर्जन, विकास और अंतमे उन्हीजाता है. निर्माण कार्य और उनका विसर्जन होके फिरसे उर्जामे रूपान्तर यह नियमित रूपसे चलता रहता है. उसी के हिसाब से जिस तरह power generation plant से electricity बहती हुई हमारे घर पर पहोच जाती है.

उसी तरह यह दिव्य चेतना, आप उसे जो कुछ भी कहो बात एक ही है. हमे यहा पर व्याख्या पर नही उलजना. क्योकि यह सब केवल माहिती को बढाती है. we called it cosmic energy or divine strength or god’s energy. हम उसे अनेक नाम से पुकारते है.

ईश्वरीय चेतना, आत्म शक्ति, ब्रह्माण्डीय उर्जा, विश्व चेतना या और कुछ. जो भी हो इनका स्वरूप energy का है. एक बात ओर यहा पर समजनी है की उर्जा उपर से आती है और चली जाती है ऐसा नही है. बहार और भीतर सभी जगह पर यही energy व्याप्त है. स्वभाविक रूप से ये हम सब में भी है. हमारे शरीर की सारी क्रिया भी इसी से होती है. इतना ही नही यही चेतनाका अनुभव पुर्ण आनंदमई है. आप मुजे पुछेगे की यह आनंदमई कैसे हो शकती है ? तो उनका जवाब यह है की जब इनका अनुभव हमे होता है तब निरतिशय आनंद का अनुभव होता है. लेकिन ह सर्वत्र व्याप्त है.

जैसे सागर में पानी है, हमारे आसपास हवा का अस्तित्व है उसी तरह सभी जगह पर पूरी मात्रा में भरपूर है. ये बात केवल कोई शास्त्र ही नही कहते आधुनिक वैज्ञानिको ने भी इसे प्रमाणित कर दिया है की energy से mass और mass से energy उत्पन्न होती रहती है.

मतलब की जो कुछ भी हम देख रहे है वह सभी चीज वस्तु एकही दिव्य चेतना का स्थूल रूप है. जैसे आप example के दोर पर water को ले लीजिये, water has two elements oxygen and hydrogen. यह दो तत्व को मिलाने से पानी बना हुवा है. यही पानी बर्फ़ भी बन शकता है.

मतलब की उनका घन स्वरूप बर्फ़ है. कहने का मतलब यही है की जब ब्रह्माण्ड की उत्पति हुई थी तब केवल उर्जा का सवरूप था. आज भी ब्रह्माण्डमें के भारी मात्रा में ruff matter है जो आज जैसी अनेक galaxy को बनाने में सक्षम है. उर्जा तो एक ही है लेकिन हमारे सामने है वह उनका परिवर्तित रूप है ऐसा यहा पर समजना है. परिवर्तित रूप होने से उनकी शक्ति कम नही होती लेकिन उसके भीतर आज भी कई ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने की क्षमता है.

वैदिक उपनिषदों में भी एक बात कही है की ” एको ब्रह्म द्रित्यो नास्ति ” मतलब की एक ही ब्रह्म सर्व जगह पर मोजुद है. यही energy को ही वैदिक शाश्त्र में ब्रहम कहा गया है. यही चेतना विश्व की वह energy है जिसे परमाणु उर्जा के माध्यमसे यह मानवजात जान चुकी है.

In short this is our brief history of first episode. But in this episode we strive to know that why we can not take advantage of our inner strength. हम इसी दिव्य चेतना का लाभ भारी मात्रा में क्यों नही उठा शकते ??

हलाकि, यही चेतना हमे सब जगह पर मददरूप होती है. cosmic energy हमे क्यों नहीं मिलती इनके लिए हमे दो अलग अलग तरीके की चेतना का बहाव देखना होगा. first flow of energy कुछ life force है मतलब की जीवन जीने की शकती !! जिव को एक चेतना या शकती दीहम नहीं चाहे फिर भी स्वश चलते है गई है की वह अपना जीवन किस तरह से टिका शके. जैसे की

2 thoughts on “हमे यह दिव्य शक्ति का लाभ क्यों नही मिलता -why is stoppage of inner strength”

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